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त्वं कः असि (संस्कृत काव्यः)

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त्वं कः असि? निर्जीवचैतन्यस्य कर्ता पृथिव्याः सृष्टिकर्ता मूक तटस्थ त्वं कः असि? नद्यः प्रवहन्ति यस्य महिमा नक्षत्रं प्रज्वलितम् यस्य वैभवात् त्वं कः असि? वायुर्प्रवहन्ति यस्य निःश्वासः यस्य वेगेन ब्रह्मांड गतिमान: त्वं कः असि? कवयित्री : कुसुम लता जोशी हिंदी अर्थ तुम कौन हो? जड़ चेतन के कर्ता धरा आकाश के निर्माता  मूकदर्शक निरपेक्ष  तुम कौन हो?  नदियाँ बहती  जिसके प्रताप से नक्षत्रमंडल प्रकाशित जिसके वैभव से तुम कौन हो?  हवाएँ बहती  जिसकी श्वाँसों से जगत गतिशील जिसकी गति से तुम कौन हो? कवयित्री : कुसुम लता जोशी

जानिए क्यों विख्यात हैं सप्त पुरियाँ

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जानिए क्यों विख्यात हैं  सप्त पुरियाँ   सनातन धर्म में सप्त पुरियों को मोक्षदायिनी बताया गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार  अयोध्या, मथुरा, मायापुरी अर्थात हरिद्वार,  काशी, कांची, अवंतिका पुरी  या उज्जैयिनी और   द्वारिका को सप्तपुरी  बताया गया है- अयोध्या मथुरा माया काशी कांञ्ची अवंतिका। पुरी द्वारवती चैव सत्तैता मोक्षदायिका ।। (गरुड पुराण)     इन सातों नगरों  को सनातन धर्म में विशेष महत्त्व है और इनके दर्शन मात्र से व्यक्ति को मोक्ष मिल जाता है।  आज हम जानेंगे कि इन सातों नगरों की ऐसी क्या विशेषता है कि इन्हें सनातन धर्म में इतनी  ख्याति मिली है।  1. अयोध्या:   उत्तर प्रदेश में स्थित अयोध्या एक प्राचीन शहर है। अयोध्या  नगरी पवित्र सरयु नदी के  त ट पर बसी हुई नगरी है। अयोध्यापुरी की महिमा का अनुमान इस प्रसिद्ध श्लोक से लगा सकते हैं- विष्णोः पादमवन्तिकां गुणवतीं मध्ये च काञ्चीपुरीन् नाभिं द्वारवतीस्तथा च हृदये मायापुरीं पुण्यदाम्। ग्रीवामूलमुदाहरन्ति मथुरां नासाञ्च वाराणसीम् एतद्ब्रह्मविदो...

जानिए कौन सी हैं सप्त पुरियाँ

जानिए कौन सी हैं सप्त पुरियाँ सनातन धर्म में सात का बड़ा ही महत्व है । इसी परिप्रेक्ष्य में सात पुरियाँ या सात नगर उल्लेखनीय हैं । इन सात नगरों का बड़ा ही धार्मिक महत्त्व है।माना जाता है कि इन सात नगरों या पुरियों के दर्शन  मात्र से मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। अत: प्रत्येक सनातनी को अपने जीवन में देशाटन करते हुए इन नगरों का कम से कम एक बार दर्शन अवश्य करना चाहिए।  इन सात पुरियों के नाम इस प्रकार हैं:- 1. अयोध्या 2. मथुरा 3. माया अर्थात  हरिद्वार ( प्राचीन ग्रंथों में हरिद्वार का नाम मायापुरी नाम से विख्यात था।) 4. काशी 5. कांची  6. अवंतिका पुरी  7. द्वारिकापुरी इन सातों  पुरियों का उल्लेख और महत्त्व अनेक धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है । गरुण पुराण में इस से संबद्ध एक श्लोक मिलता है जिसमें इन पुरियों का दर्शन मोक्षप्रद कहा गया है। अयोध्या मथुरा माया काशी कांञ्ची अवंतिका। पुरी द्वारवती चैव सत्तैता मोक्षदायिका ।। (गरुड पुराण)

धनस्य रहस्यम्

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         धनस्य रहस्यम्                                                                            (संस्कृत  लघु कथा) कश्चित् नगरे एक: कृपणः वणिक निवसति स्म । सः व्यापारेण बहु धनं सञ्चितवान् । परन्तु सः तत् धनं सर्वथा न व्ययितवान् । सः प्रायः पुरातनवस्त्राणि धारयति स्म । सः अतीव सरलं भोजनं खादति स्म ।पुत्रपत्नीं च सर्वभोगान्वर्जयति स्म ।तस्य कर्मचारिणः अपि व्यापारिणः कृपणतायाः कारणात् दुःखिताः आसन् । सः कदापि कस्मैचित् एकं कौडिमपि दानं न कृतवान् । वणिक् ’अर्थो हि लोके पुरुषस्यः बंधु इति मन्यते स्म’ बहु चिन्तयित्वा धनं व्यययति स्म । एवं तस्य धनं पूरितं भवति स्म । परन्तु तस्य हृदये सन्तोषः नासीत् । सः चिन्तितः आसीत् यत् तस्य मृत्योः अनन्तरं तस्य कष्टेन अर्जितं धनं न नष्टं भवेत् इति । किसी नगर में एक कृपण व्यापारी रहता था। उसने व्यापार द्वारा बहुत धन संचय किया। किंतु वह उस ...

Dhan Ka Rahasya धन का रहस्य

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  Dhan Ka Rahasya धन का रहस्य (लघु कथा) किसी नगर में एक कृपण व्यापारी रहता था। उसने व्यापार द्वारा बहुत धन संचय किया। किंतु वह उस धन को  जरा भी खर्च नहीं करता था । वह अक्सर पुराने कपड़े ही पहने रहता। वह बहुत ही साधारण भोजन करता। वह अपने पुत्र और पत्नी को भी सभी तरह से सुखों से वंचित रखता।  उसके कर्मचारी भी व्यापारी की कृपणता से दुखी थे। उसने कभी किसी को एक पैसा भी दान न दिया। सेठ स्वयं भी एक-एक पाई को दांत से पकड़ कर रहता और बहुत विचार कर ही धन खर्च करता। इस तरह उसके धन के भंडार भरते गए। किंतु उसके हृदय में संतुष्टि न थी। उसे चिंता थी कि उसके मरने के बाद कहीं उसके मेहनत से अर्जित धन नष्ट न हो जाए।  एक बार सेठ खिन्न होकर वन में चला गया। वहां उसे एक संन्यासी मिले। संन्यासी का हृदय आनंद से भरा था उन्हें किसी तरह की कोई चिंता न थी। उनका मस्तक सात्विक तेज से चमक रहा था।  संन्यासी को देख कर सेठ बहुत प्रभावित हुआ। उस ने संन्यासी को प्रणाम किया और अपनी खिन्नता का कारण बताया। सेठ की बात सुन कर संन्यासी उसे वन में ही एक ऊंचे पेड़ के पास ले गए। वहां एक मधुमक्खी का छत्ता ल...